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सोशल मीडिया ने कैसे इस शहर को नई ज़िंदगी दी

तुर्की के दक्षिणी-पश्चिमी इलाक़े में अनातोलिया के पठार के किनारे पर पामुक्काले नाम की एक जगह है. तुर्की भाषा में इसका मतलब कॉटन कासल यानी कपास का क़िला है. यहां पर एक ख़ास तरह का झरना है.

यहां पर पानी सीढ़ीदार चट्टानी टीलों से गुज़रता है. बरसों से पानी के गुज़रने की वजह से इन चट्टानी टीलों पर काफ़ी बालू और कंकड़-पत्थर जमा हो गए हैं.

पामुक्काले नाम की गर्म पानी के सोतों वाली ये जगह, ऐतिहासिक रोमन-यूनानी शहर हायरापोलिस के खंडहरों के क़रीब ही स्थित है.

हायरापोलिस शहर के खंडहर इस झरने से ऊपर स्थित पहाड़ी पर हैं. जब पानी इन चट्टानों से होकर गुज़रता है, तो, बेहद दिलकश नज़ारा बनता है. जैसे वो सीढ़ियों से ख़रामा-ख़रामा उतर रहा हो.

आज की तारीख़ में ये भौगोलिक चमत्कार और पहाड़ी पर मौजूद ऐतिहासिक खंडहरों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है.

पामुक्काले के ये सीढ़ियों वाले चमत्कारी तालाब तुर्की के प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट बन गए हैं. इन्हें देखने के लिए हर साल क़रीब 20 लाख लोग तुर्की आते हैं.

सीढ़ियों वाले इन तालाबों की तलहटी के किनारे बसा पामुक्काले गांव और इसके दो हज़ार लोग, ऐतिहासिक खंडहरों के साये में ख़ूब फल-फूल रहा है.

तलछटों से भरे इन तालाबों के अलावा पामुक्काले गांव में है तो बस धूल भरी आब-ओ-हवा. ईंटों से बने छोटे-छोटे मकान हैं.

कुछ किराने की दुकाने हैं. एक मस्जिद है और कुछ खाने-पीने के ठिकाने. घरों की दीवारों से बकरियां झांकती दिखती हैं.

और गांव की गलियों से होकर गुज़रने वाले उन लोगों को निहारती रहती हैं, जो इन जादुई तालाबों में नहाने आते हैं. गांव के किसान कभी-कभार इन गलियों से अपने ट्रैक्टर लेकर गुज़रते हैं.

माना जाता है कि पामुक्काले के इन तालाबों में नहाने से थकान मिट जाती है. शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है. कई सदियों से रोमन, यूनानी, बाइजैंटाइन और ओटोमान साम्राज्य के लोग इन तालाबों के जादू का फ़ायदा उठाने के लिए आते रहे हैं.

1950 में उत्तरी साइप्रस के रहने वाले अली रिज़ा ने ऐसे ही जादू का दावा किया था. वो उम्र के तीसरे दशक में ही जोड़ों के दर्द से हलकान थे.

वो कुछ काम भी नहीं कर पाते थे. हालात ऐसे थे कि अली रिज़ा को खड़े होने में भी दिक़्क़त होने लगी थी. अपने डॉक्टर की सलाह पर अली रिज़ा पामुक्काले के इन जादुई तालाबों में वक़्त गुज़ारने आ गए.

इस पानी का ऐसा जादू हुआ कि कुछ ही महीनों के भीतर अली रिज़ा काम पर लौट आए.

आज भी तुर्की के बहुत से डॉक्टर एक्ज़ीमा और जोड़ों की बीमारियों के इलाज के लिए यहां वक़्त गुज़ारने की सलाह देते हैं.

अली रिज़ा के ऊपर पामुक्काले के गर्म और जादुई पानी के असर का क़िस्सा साठ के दशक में आस-पास के देशों में काफ़ी मशहूर हो गया था. फिर भी पामुक्काले गांव में सैलानियों की आमद में कुछ ख़ास इज़ाफ़ा नहीं हुआ था. गांव के किसान अनार, अंगूर और चेरी की खेती करने में मशगूल थे.

यहां की तस्वीर 1970 के दशक में बदली. तब तुर्की की सरकार ने पश्चिमी तट पर टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए भूमध्य सागर और एजियन सागर के तटों के किनारे ज़मीन बेचनी शुरू की. तुर्की की सरकार ने कारोबार शुरू करने वालों को यहां आकर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम करने का न्यौता दिया.

दक्षिणी-पश्चिमी तुर्की में समुद्र के किनारे बने रिजॉर्ट लोगों को पामुक्काले की सैर को ले जाते. बसों में भर-भर कर लोग इन तालाबों में स्नान करने पहुंचने लगे.

पामुक्काले गांव के लोगों को भी सैलानियों की भीड़ में कारोबार का मौक़ा दिखा. गांव में कई लोगों ने क़र्ज़ लेकर छोटे-मोटे होटल, मोटेल और रेस्टोरेंट खोले.

जैसे-जैसे सैलानियों की तादाद बढ़ी, वैसे ही इलाक़े की ख़ूबसूरती और ऐतिहासिक विरासत को नुक़सान पहुंचने की शुरुआत भी हुई.

हायरपोलिस के ऐतिहासिक खंडहरों के इर्द-गिर्द विदेशी निवेशकों की मदद से कई होटल खुल गए. यहां आने वाले टूरिस्ट जाने-अनजाने में ऐतिहासिक विरासत को नुक़सान पहुंचाने लगे.

कई होटलों ने क़ुदरती तालाबों से गर्म पानी लेकर अपने होटल के पूल में भरना शुरू किया. इसके बाद गंदा पानी यूं ही बहाया जाने लगा. जिससे इन तालाबों को भारी नुक़सान पहुंचा. इनकी तासीर बदलने लगी.

1980 के दशक में हालात इतने बिगड़ गए कि इस धरोहर को बचाने के लिए यूनेस्को को दख़ल देना पड़ा. यूनेस्को की सिफ़ारिश पर तुर्की की सरकार ने हायरापोलिस तक जाने वाली सड़क को बंद कर दिया. आस-पास के तमाम होटल बंद कर दिए गए. गर्म तालाब के इर्द-गिर्द के होटल और रेस्टोरेंट भी बंद कर दिए गए.

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