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Showing posts from December, 2018

1984 सिख दंगे को 'मृत मुद्दा' बताने वाली कांग्रेस की सच्चाई 2002 की बीजेपी से कितनी अलग?- नज़रिया

दिल्ली की सड़कों पर लगातार तीन दिनों तक सिखों का संहार होता रहा. संसद ने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुई सिखों की हत्याओं की निंदा करते हुए कोई भी प्रस्ताव पारित नहीं किया. जबकि नई सरकार के गठन के फौरन बाद जनवरी, 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की हत्या और भोपाल गैस त्रासदी के मृतकों के प्रति दुख जताया. फरवरी 1987 में एक और चूक हुई. 1984 दंगों पर एक रिपोर्ट संसद में पेश की गई. सदन में भारी बहुमत का दुरुपयोग करते हुए राजीव गांधी सरकार ने न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट पर सदन में चर्चा की इजाज़त नहीं दी. संसद में हुई 21 साल बाद चर्चा इस मुद्दे पर संसद का मुंह दबाना सरकार के अपने उस अड़ियल रवैये को ज़ाहिर करता है, जो उसने सुप्रीम कोर्ट के कार्यरत जज की जांच में मिली क्लीन चिट के बाद हासिल किया था. मिश्र को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया, वो मानवाधिकार आयोग के पहले अध्यक्ष बने और फिर राज्यसभा में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. अगस्त 2005 में जब मनमोहन सिंह सरकार ने इसी विषय पर एक दूसरे जांच आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश की, तब जाकर 21 साल पुरानी घ

वो शख़्स जिसकी ज़िंदगी मधुमक्खियों ने बचाई

बीस साल तक अमरीकी सेना में रहने के बाद एरिक ग्रैंडन के लिए ज़िंदगी आसान नहीं थी. आम नागरिक की तरह जीवन गुजारने में उनके सामने कई बाधाएं थीं. सेना में रहते हुए वह छह बार मध्यपूर्व के खाड़ी देशों में गए थे. उन्होंने ऑपरेशन डेज़र्ट स्टॉर्म (1991) में भी हिस्सा लिया था. इन सैन्य अभियानों ने उनके शरीर और मन पर गहरे घाव छोड़ दिए. 2005 में ग्रैंडन सेना से रिटायर हुए तो उनमें गल्फ़ वॉर सिंड्रोम और पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के लक्षण थे. खाड़ी युद्ध में शामिल हुए कई पूर्व अमरीकी सैनिकों को यह बीमारी लग गई थी. जंग की ख़ौफ़नाक यादें उनको सताती हैं. डरा देने वाली घटनाओं का फ्लैशबैक उनको परेशान करता है. ग्रैंडन के साथ भी यही हो रहा था. 2011 में वह एक भयानक फ्लैशबैक के शिकार हुए. उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. ग्रैंडन खुद से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे. उनका चेहरा सूज गया था. दो दिन बाद उनके भाई अस्पताल में मिलने आए तो उन्होंने कहा कि वह एक वाइल्ड बीस्ट (अफ्रीकी जंगलों में मिलने वाला जानवर) की तरह दिख रहे हैं. ग्रैंडन की पत्नी को भी उनको पहचानने में दिक्कत हो रही थी,

बुलंदशहर: रास्ते में लगा जाम तो मंदिर में पढ़ी गई नमाज़

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित जैनपुर गांव के शिव मंदिर में नमाज़ पढ़ते मुसलमानों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. ये तस्वीरें बुलंदशहर में चल रहे तीन दिवसीय विशेष धार्मिक सम्मेलन 'इज्तेमा' में शामिल होने आए मुसलमानों के एक समूह की हैं. इस इज्तेमा में देश-विदेश से क़रीब दस लाख मुसलमान जुटे हैं. वे यहां से समूहों में बंटकर धार्मिक संदेश फैलाने का काम करेंगे. वायरल हो रही तस्वीरें रविवार की हैं और सोशल मीडिया पर लोग इन्हें सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बता रहे हैं. ये इज्तेमा बुलंदशहर के दरियापुर गांव में हो रहा है. यहां पहुंच रहे लोगों के लिए आस-पास के ग्रामीणों ने भी खाने-पानी की व्यवस्थाएं की हैं. मुसलमानों के जिस समूह की तस्वीरें वायरल हुई हैं, वो जैनपुर गांव के पास जाम में फंस गया था. इस गांव के हिंदू लोगों ने उनके लिए पानी पीने की व्यवस्था की थी. मंदिर के व्यवस्थापक और पुजारी कन्हैयालाल शर्मा ने बीबीसी को बताया, "कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में लोग आ रहे थे. सड़क पर जाम लगा था. हमने भी आने वाले लोगों के लिए पानी की व्यवस्था क