Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2019

चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई मामलाः उत्सव बैंस के आरोपों की जांच के लिए पूर्व जज पटनायक को कमान

सु प्रीम कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस के हलफ़नामे के आरोपों की सच्चाई की जाँच करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके पटनायक को नियुक्त किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई निदेशक और आईबी प्रमुख को न्यायाधीश एके पटनायक के साथ सहयोग करने के लिए भी कहा है. जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की स्पेशल बेंच ने वकील उत्सव बैंस को कोर्ट में उन सभी तथ्यों और साक्ष्यों को जांच समिति को सौंपने को कहा है जिसके विषय में उन्होंने अपने हलफनामे में आरोप ल गाया था कि कुछ फिक्सर और कॉरपोरेट से जुड़े लोग न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. उत्सव बैंस ने हलफ़नामे में यह दावा किया था कि उन्हें चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला का केस लड़ने और इस बारे में प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के लिए रिश्वत का प्रस्ताव दिया गया था. बैंस का कहना है कि चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई पर ये आरोप 'साज़िश' के तहत लगाए गए हैं ताकि वो अपने पद से इस्तीफ़ा दे दें. सुनवाई के दौरान गुरुवार को जस्टिस अरुण मिश्रा उन्होंने कहा, "पिछले तीन-चार साल से इस संस्

फ़िलीपींस में वैज्ञानिकों को मिली इंसान की एक और प्रजाति , नाम है- होमो लूज़ोनेसिस

मानव प्रजाति की सूची में एक और नया नाम जुड़ गया है जिसके अवशेष फ़िलीपीन्स क एक गुफ़ा में मिले हैं. विलुप्त हो चुकी इस नई प्रजाति के अवशेष फिलीपीन्स के सबसे बड़े द्वीप लूज़ोन में पाए गए हैं जिसके बाद इस प्रजाति का नाम होमो लूज़ोनेसिस रखा गया है. इस प्रजाति में पाए जाने वाली कुछ-कुछ भौतिक विशेषताएं प्राचीन मानव प्रजातियों और आज की मानव प्रजाति से मिलती-जुलती हैं. अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि प्राचीन मानव के ये सम्बन्धी अफ़्रीका से जुड़े हो सकते हैं जो बाद में दक्षिण पूर्व एशिया में आ कर बस गए होंगे. इन अवशेषों की खोज से पहले ऐसा होना लगभग असंभव माना जा रहा था. इस खोज के बाद अब ये माना जा रहा है कि फ़िलिपीन्स और इस प्रांत में मानव प्रजाति का विकास बेहद पेचीदा रहा हो सकता है क्योंकि यहां पहले से ही तीन या फिर उससे अधिक मानव प्रजातियां रह रही थीं. इनमें से एक थे नाटे कद वाले 'हॉबिट' या होमो फ्लोरेसीन्सिस जो इंडोनेशिया के फ्लोर्स नाम के द्वीप में करीब 50 हज़ार साल तक थे. लंदन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम के प्रोफ़ेसर क्रिस स्ट्रिंगर का कहना है, "2004 में नाटे कद वाल

थाली से खेतों तक का सफ़र

पूर्वोत्तर राज्य असम के पकवानों का ज़ायक़ा दिल लुभाता रहा है, राज्य की पारंपरिक थाली में व्यंजनों की विविधता है और यही इस इलाक़े की पहचान भी है. कई ऐसे व्यंजन हैं जो अहोम राजाओं के दौर से प्रचलित हैं. राज्य के कुछ-कुछ इलाक़ों में बनने वाले व्यंजन वैसे ही हैं जैसे बर्मा और थाईलैंड में पकाये जाते हैं. वैसे तो चावल ही यहाँ का मुख्य आहार है. मगर अब दालें और सब्ज़ियां भी उगाई जा रही हैं. ऊपरी असम से लेकर निचले असम तक पारंपरिक खाने की थाली में परोसे गए व्यंजन अलग-अलग होते हैं और उनका स्वाद भी. अहोम लोगों के पकवान या फिर बोडो और अन्य जनजातियों के व्यंजन एक दूसरे से काफ़ी अलग हैं और उनका स्वाद भी क्षेत्र के हिसाब से बदलता रहता है. कश्मीर से लेकर पूर्वी और मध्य भारत के अलावा दक्षिण भारत में भी खाना पकाने के तरीक़े अलग रहे हैं. ये लोगों के स्वाद पर ही निर्भर है जहाँ मध्य और दक्षिण भारत में तेज़ मसालों का इस्तेमाल होता है, वहीं असम में भी पकवान मसालेदार होते हैं. लेकिन पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड में मसालों का कम इस्तेमाल किया जाता है. दूसरे प्रदेशों की तरह ही असम के किसान