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मध्य प्रदेश के गांव में मुसलमानों को प्रवेश न करने की धमकीः प्रेस रिव्यू

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वी मध्य प्रदेश के राजगढ़ ज़िले के गांवों में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक की धमकी दी गई है. पुलिस को मिले पत्र में कहा गया है, "लिम्बोदा गांव में कोई मुसलमान फेरी वाला नहीं घुसना चाहिए. अगर वो आए तो हमें ज़िम्मेदार न ठहराया जाए. कोई मुसलमान हमारे गांव में न घुसे." पुलिस को ऐसे धमकी भरे पत्र गणतंत्र दिवस के मौके पर खुजनेर क़स्बे में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद मिले हैं. प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस के शासन की ये पहली सांप्रदायिक वारदात है.

पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की सहयोगी पार्टियां केंद्र सरकार की ओर से लाए जा रहे नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ लामबंद हो रही हैं. द हिंदू अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूर्वोत्तर की दस क्षेत्रीय पार्टियों ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ सम्मेलन किया जिसमें बिहार में बीजेपी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड पार्टी भी शामिल हुई. प्रस्तावित क़ानून के तहत अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार में रह रहे अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सकेगी लेकिन इन देशों से आने वाले मुसलमान नागरिकता नहीं ले सकेंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणनवीस की सरकार मुख्यमंत्री को कुछ शर्तों के साथ लोकायुक्त के दायरे में लाना चाहती है. महाराष्ट्र लोकायुक्त क़ानून के तहत फिलहाल लोकायुक्त जन प्रतिनिधियों, मंत्रियों और स्थानीय निकायों के सदस्यों के ख़िलाफ़ तो भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर सकता है लेकिन मुख्यमंत्री इसके दायरे से बाहर हैं. मंगवाल को राज्य की कैबिनेट ने मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ शिकायत दायर करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी.

अमरीका ने विश्व में सुरक्षा ख़तरों को लेकर जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में होने वाले आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान सांप्रदायिक हिंसा की वारदातों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस रिपोर्ट में भारत में पाकिस्तान स्थित संगठनों की ओर से हमलों का ख़तरा भी ज़ाहिर किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी अपने हिंदू राष्ट्रवाद की थीम को आगे बढ़ाती है तो सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ने की संभावना है.

रायबरेली के पत्रकार माधव सिंह लंबे समय से कांग्रेस पार्टी की गतिविधियों पर नज़र रखते रहे हैं.

उनका मानना है कि रायबरेली में गांधी परिवार का कोई भी सदस्य आज भी अजेय है, लेकिन यहां के लोगों की ख़ुशी और उत्साह का कारण ये भी है कि इससे उनके भीतर पूरे यूपी में कांग्रेस की मज़बूती की उम्मीद जगी है.

माधव सिंह इसकी वजह बताते हैं, "सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां प्रियंका गांधी हर कार्यकर्ता से मिलती-जुलती हैं, उनकी समस्याएं सुनती हैं और उन्हीं के अनुसार रणनीति तय करती हैं. मीडिया की रोशनी से अलग भी वो यहां कई ऐसे काम कर रही हैं जिससे बड़ी संख्या में महिलाओं को जोड़ रखा है और उन्हें आत्म निर्भर बना रखा है. प्रियंका का ये रूप अमेठी-रायबरेली के आगे नहीं दिखा है. ऐसा लगता है कि सिर्फ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी सौंपने के पीछे भी पार्टी का यही मक़सद है कि प्रियंका इसी तरीक़े से पूर्वांचल के इलाक़े में लोगों को ख़ुद से और पार्टी से जोड़ने का काम करेंगी."

दरअसल, कांग्रेस पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इसलिए भी उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है.

क्योंकि, उसे लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ाई में आम मतदाताओं का भरोसा कांग्रेस पार्टी में ही होगा. लखनऊ में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि साल 2017 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन करके कांग्रेस ने बहुत बड़ी ग़लती की और 2019 में गठबंधन करने का सवाल ही नहीं था, भले ही प्रदेश और केंद्र के कई नेता इसके लिए लॉबीइंग कर रहे थे.

उनके मुताबिक़, "ऐसे नेताओं को लगता था कि गठबंधन से वो ख़ुद विधान सभा और लोकसभा में पहुंच जाएंगे जबकि इसकी वजह से पूरे प्रदेश में संगठन को जो नुक़सान हुआ, उसकी उन लोगों ने परवाह नहीं की. इस बार यदि गठबंधन होता तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बहुत रोष पैदा होता, पार्टी को ये पता था और प्रियंका गांधी की नियुक्ति इसी के मद्देनज़र हुई है. कार्यकर्ता तो उत्साहित होगा और इसका असर भी दिखेगा."

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने साल 2009 में अप्रत्याशित जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उसे न सिर्फ़ 21 सीटें हासिल हुई थीं बल्कि मत प्रतिशत भी 18 से ऊपर पहुंच गया था.

लेकिन 2014 में मोदी लहर में पार्टी की स्थिति जो ख़राब हुई तो 2017 के विधान सभा चुनाव तक जारी रही. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार सुनीता ऐरन इसके लिए पार्टी की ढुलमुल रणनीति को ही ज़िम्मेदार मानते हैं.

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