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कोरोना वायरस का कहर बरपा तो संभल पाएगा भारत?

"कोरोना वायरस अगर सभी देशों में नहीं तो ज़्यादातर देशों मे फैल सकता है."

ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया चेतावनी है. फ़िलहाल अगर अंटार्कटिका को छोड़ दिया जाए तो कोरोना का संक्रमण सभी महाद्वीपों में फैल चुका है.

चीन से उपजा यह वायरस अब ब्रिटेन, अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया, फ़िलीपींस, थाईलैंड, ईरान, नेपाल और पाकिस्तान जैसे कई देशों तक पहुंच चुका है.

ऐसे में भारत भी इसके ख़तरे से अछूता नहीं है. मगर दूसरे कई देशों में जहां कोरोना संक्रमण को लेकर सतर्कता का माहौल देखा जा रहा है, वहीं भारत अब भी बेपरवाह नज़र आता है.

भारत सरकार की ओर से जारी की गई एक विज्ञप्ति के अनुसार अभी तक भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का एक भी बड़ा मामला सामने नहीं आया है. लेकिन सवाल यह है कि भारत बड़े मामले का इंतज़ार क्यों कर रहा है?

दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्तपाल में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर धीरेन गुप्ता का मानना है कि भारत में कोरोना जैसी महामारियों को लेकर पहले से की गई तैयारियां न के बराबर होती हैं.

बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर हमारे यहां अगर किसी को सड़क हादसे में चोट लगती है तो उसे इमर्जेंसी में भी भर्ती कराने की जगह नहीं होती. ऐसे में अगर कोरोना जैसा संक्रमण लाखों लोगों में फैल जाए तो हमारा स्वास्थ्य तंत्र इसे संभाल नहीं पाएगा. भारत के पास चीन जैसी क्षमता नहीं है कि छह दिन में अस्पताल खड़ा कर दे. भारत छोड़िए, चीन जैसा देश भी कोरोना के सामने बेबस नज़र आया. चीन ही क्यों, दुनिया के किसी भी देश में अगर लाखों लोग कोरोना जैसे संक्रमण के शिकार हो जाएं तो वो देश डगमगा जाएगा."

हालांकि केरल में तीन व्यक्तियों के कोरोन वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी लेकिन उन्हें ठीक कर दिया गया.

इस बारे में डॉक्टर धीरेन कहते हैं कि वो संक्रमण काफ़ी शुरुआती स्तर पर था इसलिए उससे निजात पाने में मुश्किल नहीं हुई. वो कहते हैं कि अगर कोरोना संक्रमण बड़े स्तर पर फैला तो उसे संभालने के लिए न तो भारत के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.

-इस क़ानून के तहत भारत में एचवनएनवन से संक्रमित लोगों को अलग रखे जाने और कुछ ख़ास अस्पतालों में उनका इलाज कराए जाने का प्रावधान है.

-यह एक्ट प्राइवेट अस्पतालों को एचवनएनवन से संक्रमित लोगों के लिए अलग रखे जाने की सुविधा की व्यवस्था करने और ऐसे मामलों की जानकारी सरकार तक पहुंचाने का निर्देश देता है.

उन्होंने कहा, "सरकार ने जो तैयारियां की हैं, उनका प्रभाव बहुत सीमित होगा. निगरानी भी सिर्फ़ उन्हीं लोगों पर रखी जा रही है जो या तो चीन से वापस आ रहे हैं या कोरोना से प्रभावित देशों की यात्रा पर जा रहे हैं.''

डॉक्टर धीरेन कहते हैं, ''कई बार कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में ख़ुद मरीज़ को इसका पता नहीं चल पाता और जब तक बीमारी की पुष्टि होती है, ये काफ़ी गंभीर हो चुका होता है. इसके अलावा कोरोना संक्रमण के टेस्ट की व्यवस्था भी सभी जगहों पर और सभी अस्पतालों में नहीं है, ये एक बड़ी समस्या है."

हालांकि एपिडेमियॉलजिस्ट (महामारी विशेषज्ञ) और हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक हेल्थ में असोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर सुरेश कुमार राठी का मानना है कि भारत को कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बहुत ज़्यादा चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.

उन्होंने बीबीसी से बातचीत में कहा, "मेरे ख़याल से बाकी देशों के मुकाबले भारत में कोरोना का ख़तरा कम है क्योंकि एचवनएनवन परिवार वाले वायरस ज़्यादा तापमान में सर्वाइव नहीं कर पाते और भारत का मौसम अपेक्षाकृत ज़्यादा गर्म होता है. दूसरे, भारत के लोगों में पर्सनल हाइजीन (व्यक्तिगत साफ़-सफ़ाई) की आदतें बेहतर हैं, फिर चाहे ये हाथ धोना हो या नहाना-धोना. ये आदतें कोरोना संक्रमण से बचाने में काफ़ी मददगार साबित होंगी.''

डॉक्टर सुरेश राठी का मानना है कि अभी भारत में ऐहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं जो इस स्तर के लिए पर्याप्त हैं.

डॉक्टर धीरेन गुप्ता, इन दावों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं.

उन्होंने कहा, "हम सिर्फ़ ये सोचकर चिंतामुक्त नहीं हो सकते कि भारत का मौसम गर्म है और इसलिए कोरोना वायरस यहां सर्वाइव नहीं कर पाएगा. बाकी चीज़ों की तरह भारत का मौसम भी विविधतापूर्ण है. कहीं गर्म तो कहीं ठंडा. यहां तक कि राजस्थान में भी दिन में मौसम गर्म होता है और रात में अपेक्षाकृत ठंडा. मेघालय जैसे राज्यों में बारिश होती रहती है. ऐसे में वायरस के संक्रमण की आशंका को ख़ारिज नहीं किया जा सकता."

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